कुछ वर्षों पहले बड़ी ही शान के साथ कहा जाता था, की “सामने वाला मकान, Engineer साहब का है”| आज माँ-बाप पढाई के प्रति इतना अधिक सचेत हैं, की बच्चे का नामकरण संस्कार बाद में होता है, वो भविष्य में क्या बनेगा पहले ही तय हो जाता है| मुझे तो संदेह है की कहीं Engineering कोई भयानक बीमारी तो नहीं| अब आप ही देख लीजिए, Virus कितनी तेज़ी से बढ़ रहा है| बच्चा 10th के बाद ही तैयारी करने में लग जाता है| मैंने तो बड़ी ही मुश्किल से पिंड छुड़ाया है, वरना रिश्ते-नातेदारों में फैला Virus हमारे घर भी आ जाता|
देश को लाखों की संख्या में Engineers की ज़रूरत है, इस बात को नकारा नहीं जा सकता| आज गली-गली खुलते कॉलेजों के बीच Engineering की पढ़ाई एक मज़ाक बन कर रह गई है| आप ने ‘तथास्तु’ सुना होगा, पर “Engineer-आस्तु”?..ये मेरा आशीर्वाद है, हर उस Student को जो दिल से Engineer बनना चाहता है| जो कोई भी Engineer वाली सोंच/प्रतिभा रखता हो वो इस क्षेत्र में खूब तरक्की प्राप्त करे, और हिन्दुस्तान का नाम रोशन करे| तो फिर “Engineer-आस्तु”-
‘करियर’ से जुड़े अपने तमाम अनुभवों एवं विचारों को Comments के माध्यम से सभी पाठकों तक पहुंचा सकते हैं| हमारे विचारों से किस प्रकार सहमत/असहमत हैं, हमें अवश्य बताएँ|
Very Excellent brother.
Even my parents were serious about ENGINEERING.
VIRUS is on…ANTIVIRUS to yahi hai ki JUST DO UR BEST and show what REALLY u are…
Fabalous poem….I would like to hear it in ur voice..
Keep doing..
@@@@@अति सुन्दर प्रस्तुति@@@@@
मैं २ पुत्रों की माँ हूँ और हमेशा उनके भविष्य के बारे में चिंतित रहती हूँ.इतने सारे नए करियर चेत्र हैं की क्या सही है और क्या गलत.लेकिन engineering तो वास्तव में सच कहूँ तो बीमारी ही है.आप के विचारों से सहमत हूँ. करियर का चुनाव करते समय, बच्चों की रूचि को अवश्य ही ध्यान में रखना चाहिए. जय हिंद!
मिल गया..मिल गया आखिर मिल ही गया…’चौथा Ideot”
ALL IS WELLLLLLLLLLLLLLL
अच्छा ही है की तू इंजिनियर नहीं बना!!
लिखते रहो और दीखते रहो!
that’s really nice..
CAREER BY CHOICE I PREFER.
मानस खत्री,
बहुत ही अच्छा प्रयास है.शब्दों को बड़ी ही कुशलता से ‘नव-गीत’ में पिरोया है. सबसे अच्छी बात है विषय पर व्यंग के माध्यम से बहुत ही अच्छा सन्देश दिया है. गीत के माध्यम से व्यंग प्रस्तुत करना थोडा कठिन होता है. तुम इस कला में बहुत ही निपुण हो. माँ सरस्वती तुम पर अपनी कृपा बना कर रखें. और भी अच्छा लिखो, थोडा ध्यान भाषा पर भी दो.
VERY GOOD…KEEP IT UP.
regards,
Dr Geeta Yadav
Bahut hi khas vishay ko is kavita ke madhyam se aap ne uthaya hai.
aap ki ye rachna vaastav me dil ko choo leti hai. aur career chunav me aa rahi pareshanio ka rekhachitra kheechti hai.
ACCHA PRAYAS HAI YUVAON TAK BAAT PAHUCHANE KA.
ASHRAF KHAN
(HINDUSTAN NEWSPAPER, LKO)
nice one!
keep writing!
best wishes!!!!
bahut hi badhiyan…
btech aur mba….jaise daal-chawal..
jise bhi dekho wo kar raha hai.
waise Btech se jada MBA ko preference mil raha hai…koi kuch bhi kare MBA zarur karna chahta hai..
GOOD POEM.
Meri to samajh me nahi ata ki sabko Engineer banne ki hi kya padi hai. aur bhi to kaam ke bahut se chheta hai. par app jo writer bane hai wahi hamare liye bahut hi achcha hai. aur pls app sada eise hi likhte rahiyega. Bahut hi tarife kabil likha hai. kam se kam ise padkar log is viruos se bachne ki kosis to kare. Thanks
मानस जी,
बहुत ही सुन्दर विषय को चुना है|
आज बच्चों पर माँ-बाप और समाज का इतना दबाव है की मजबूरी वश जहाँ सबसे अधिक पैसा और भीड़ हो उसी चेत्र में जाना पड़ता है|
किन्तु यह बिलकुल गलत है| हो सकता है वोह छात्र या छात्र किसी अन्य कार्य में अधिक कुशल हो और वाहन जा कर देश का नाम ऊँचा करे| आप की रचना बेहद पसंद आई..इसे आवाज़ के रूप में दुनिया भर तक पहुचाएं|
मेरी शुभकामनाएं!
अंकित पाठक
प्रिय कवि मानस जी,
अच्छा है भाई! तुमने कम से कम ‘पिंड’ तो छुडा लिया| यहाँ तो कक्षा १० की बोर्ड परीक्षाएं खतम हुई की बस सीधा ‘कोचिंग-क्लास’ का रास्ता नापो|
शायद ही कोई माँ-बाप बच्चे के पैदा होने पर यह कहता है की, मेरा बेटा ‘अमिताभ बच्चन’ बनेगा| मेरी बेटी ‘साइना’ जैसी महान खिलाडी बनेगी! पता नहीं इंजीनियरिंग, डाक्टरी में आखिर ऐसा क्या है जो हर कोई इसके पीछे पड़ा है| मानस जी, सच कहा हर किसी का ख्वाब ‘विदेश’ में घर-जमाई बन कर रहने का है| मातृभूमि जाये भाड़ में!
“इंजीनियरिंग है “बन्नी”……………” [कविता की सबसे खूबसूरत पंक्तियाँ]
आप का गीत पढ़ कर खुशी हुई, खूब तरक्की कीजिये| मेरी तरफ से भी देश के युवाओं को “Engineer-आस्तु”……..हा.हा.हा.हा.!!
Manas,
I am highly impressed, though i read hindi poems very rare. That’s a really awesome post. People are much interested in Engineering as it is a wide field and provides good income and Foreign exposure.But u are right saying that,”जो कोई भी Engineer वाली सोंच/प्रतिभा रखता हो वो इस क्षेत्र में खूब तरक्की प्राप्त करे, और हिन्दुस्तान का नाम रोशन करे…”
GO FOR BEST INSTITUTES ONLY….DEGREE IS NOT EVERYTHING…WERE U REALLY STAND MATTERS!!!!!!!!!
PRAGATI VERMA
बहुत ही अच्छी रचना..पढ़ कर आनंद आया………….
आप की रचना सामाज में जागरूकता पंहुचा सकती है..
Bahut sateek vichar hain!
BEAUTIFUL POEM!
Kavita ekdam sateek hai. aur aap ne badi hi gambheer bat ko kushalta se prastut kiya hai. Aaj ka samaj Bacchon ki pratibha se jyada paisa banane aur videsh jane mein laga hua hai. Sach to ye hai ki jo bacche kuch naya karna chahte hain, uski pratibha ko KITABON KE BOJH MEIN MAAR DIYA JATA hai.
NICE MESSAGE FOR STUDENTS AND PARENTS.
इंजीनियरिंग की शिक्षा वर्षों से चली आ रहा है. आज के युग में हर गली-चौरहे में इंजीनियरिंग कॉलेज भले ही खुल रहे हैं, किन्तु आज बच्चों की तादाद भी ज्यादा है| किन्तु अगर अच्छा कॉलेज चुना जाये तो ही फ़ायदा है|
अच्छी कविता है….
Muje ek joke yaad aa gaya:
Ek baar ek LADKA bus se ja rha tha. Tabhi Driver ne BREAK lagaya aur wo aage khadi ek LADKI se takra gaya.
LADKI: Hey…, What r u doing?
LADKA: ENGINEERING………….!!!
THAT’s spirit of true engineer.
(BURA MAT MANO JOKE….)
Keep it up…Nice poem gr88888888888
WONDERFUL POEM..
LAST 4 LINES POINTS TO A IMPORTANT ISSUE.
DO UR BEST IN ANY FIELD WERE U FIND URSELF AT TOP , THAT’ S THE SPIRIT OF TRUE EDUCATION.
अति सुन्दर!
विषय का चयन सभी से हट कर है,
प्रस्तुतीकरण बड़ा ही निराला है.
Jo kuch nahin ban saka woh bhi bas kisi gali-koonche ke collage se b-tech ki degree haasil kar khud ko RAJA BHOJ samajh raha hai..
**nice poem**
बहुत ही अच्छा व्यंग..आज की शिक्षा प्रणाली पर..
सबसे ज़रूरी है अपने हुनर की पहचान करना और कुछ देश की प्रगति के लिए करना..
bahut hi acchi kavita hai. Aaj maa-baap bacchon ki praribhaon ka hanan kar rahe hain. Unhe matra Kitabi-Keeda banana anuchit hoga.
very good keep it up
sanjay kumar farwaha
बहुत ही सुन्दर कविता! बड़ा ही अच्छा विषय चुना है और वर्तमान स्थिति पर शूक्ष्म व्यंग किया है.
शुभकामनाएं.
आप की विडियो भी सुन कर अच्छा लगा!
bahut badhiyan
आज के सामाज का सुन्दर चित्र खींचा है मानस जी| आज हर किसी को पैसे कमाने की ज़ल्दी है| माँ बाप की सोंच गलत नहीं है की बच्चे उस छेत्र में जाये जिसमे सर्वाधिक तरक्की हो किन्तु उनके हुनर का ध्यान अवश्य रखना चाहिए|
मैं आप की बात से सैट प्रतिशत सहमत हूँ..
“Mushroom से खुलते कॉलेज…..”
Excellent to read from a man who really can talk about it.
I got what you intend, thankyou for posting .Woh I am pleased to find this website through google.
bht khoob manas bhai….kya kamaal ka likha hai par aap engg nhi hai na isliye uski dursi side nhi jante jo bache galti se engg me aa to jate hai aur stuggle karte rahte hai aur fail b ho jate….bht log isse mazak me likh dete hai bht ye ek gambhir vichaar hai..shandaar!!
इंजीनियरिंग पर पहली बार किसी युवा से ऐसा कुछ सुन रही हूँ| आज कल तो जिसे देखो वोह ही इंजिनियर| सही कहा आपने-“मुशरूम से खुलते कॉलेज….”| अपनी प्रतिभा के अनुसार ही कर्म कर सफलता प्राप्त की जा सकती है| आप के विचारों से सहमत हूँ..आपकी रचना विडियो के माध्यम से भी सुनी और एक युवा कवी को काव्य पथ करते देख तसल्ली हुई की हमारी भाषा सुरक्षित हाथों में है|
well written. hit on the point.
very nice points- right on top of the virus head. i liked reading the poem over and over again. the strong usage of words by you is really worth appreciating:-)cheers
Sush
बहुत बेहतरीन व्यंग पोस्ट…..
Are waah! shandaar rachna hai. Yuva dilon ki aawaaz “Engineer-Aastu”
aap ki kavita ek nai kranti la degi.nice poet.