गलियों में, शहरों में, विदेशों तक मिल जायेंगे,
फूल उनके खिल रहे, सारा जग महकाएँगे|
ज्ञान की धारा से सींचा, जिसने क्यारी-क्यारी को,
‘इश्वर’ को ही भूल गए, फिर क्या ‘मानस’ रह पायेंगे||
जिन्होंने ‘मानस’ को ‘मानस’ बनाया, ऐसे तमाम शिक्षकों को नमन! ‘शिक्षक दिवस’ की शुभकामनाएं|
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